दास्तां- ऐ- अजूबा(किस्सा खून की बारिश का )

ज़ीलैंडिया- चौक गए होंगे आप ज़ीलैंडिया पढ़कर आखिर ये है क्या ज़ीलैंडिया ?                  

      ये रही जीलैडिया  की कुछ रोचक बातें                                                          👇👇👇                                      

 बताता हूँ जीलैडिया 2017  मे न्यूज़ीलैंड के वैज्ञानिकों द्वारा खोजा गया एक अंतर्जलीय महाद्वीप है | इस  महाद्वीप की खोज का कार्य सन् 1995 मे न्यूज़ीलैंड के 'G.S scientist ' द्वारा आरम्भ किया था जो 2017 मे पूरा किया ।

                           ज़ीलैंडिया 2.5 करोड़ वर्ष पहले अस्तित्व मे आ गया था और भौगोलिक उथल पुथल के कारण सागर मे डूब गया | ये द्वीप भारत से लगभग 17 गुना चौडा और लम्बा है | अंटार्टिक महासागर के पूर्व दिशा मे न्यूज़ीलैंड के पास डूबा हुआ है |

       गर हम भारतीय मिथक की बात करे तो जल के अन्दर भी जीवन था और यहां तक भगवान विष्णु का निवास स्थान भी क्षीर सागर में था । जो  सातवे महासागर गिना गया है और आस्ट्रेलिया भी सातवे महाद्वीप में और भारतीय द्वीप के सातवें द्वीप में भी आता है। और दूसरा अर्थ यह भी निकल सकता है कि शायद जलीय मनुष्य जाति पाई जाती हो ।

  यह भी हो सकता है कि करोड़ वर्ष पहले किसी जलीय आपदा के कारण  महाद्वीप का हिस्सा यह जलमगन हो गया हो ।   

ऐसे ही कुछ तथ्य है हमारे पास जिसके बारे में हम आपको अवगत कराएंगे 
                              😍😍😍
खून की बारिश 

दोस्तों आप लोगों को खून की बारिश के बारे में पढ़कर करके अटपटा लग रहा होगा कि खून की बारिश। खून की बारिश कैसे हो सकती है लेकिन यह बारिश हुई है किसी दूसरे मुल्क में नहीं हमारे ही वतन भारत के केरला राज्य में ।
           
जी हां दरअसल बात यह है कि सन 1957 के आसपास केरला में आसमान में घने बादल छा गए और जोर की बारिश होने लगी लोग देखते क्या है पानी की जगह खून बरस रहा है चारों और हाहाकार मच गया खून बरस रहा इंद्र देव नाराज़ है किसीने सैतान का हवाला दिया । बात बीसवीं सदी की थी बारिश छुट पुट स्थानों में हुई थी  और लोगों ने इस घटना को भूत प्रेत का हवाला देकर वक्त के साथ बात भुला  दी ।

 समय बीता वक्ता गुजरा और यह वाकया दोबारा हुआ सन 2001 में
 
2001 में केरल के दो जिले कोट्टयम और इडुक्की में लाल रंग की बारिश फिर हुई । बात 21 सदी की थी । मीडिया का जमाना था। बात चारों और फैल गई कुछ लोगो ने इसे देव का क्रोध बताया तो कुछ लोगो ने आसुरी माया ।  

 इस बार पानी कि बूंदे जांच के लिए वैज्ञानीको के पास भेजी गई । वैज्ञानीको  का मानना है कि लाल रंग की बारिश हो सकती हैं क्योंकि अरब सागर से उठने वाली गरम जल धारा और हिन्द महासागर की ठंडी जल धारा से जो घरसन होता है उससे पानी का रंग बदल जाता है । ऐसी बारिश सिर्फ भारत में ही नहीं इटली में भी हुई है ।

 कुछ वैज्ञानीक ने तर्क दिए कि वायुमंडल में जीव को उपस्थिति होने के कारण  और अधिक घर्षण होने के कारण जीवों का पानी  में ही रगड़ के कारण पानी का रंग लाल हो गया। 

कुछ पर्यावरणविद् का मानना है कि प्रदूषण के कारण पानी का रंग लाल हो गया ।

कुछ लोगो ने हवाला दिया कि पीली काली रंग कि भी बारिश हुई है । ये कोई दीगर बात नही है । 

ऐसी ही बारिश 2013 में भी हुई थी लोगों का मानना है । लेकिन ये आंशिक बारिश थी ।

 कुछ भी हो मानो या ना मानो लेकिन ये लाल रंग की बारिश किसी अजूबा से कम ना थी । और आज भी ये बारिश हमारे सामने होने लगे तो हम भी किसी रहस्य से कम नहीं मानेंगे और रही बात आस्था कि तो प्रभु की मर्जी के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता  यह तो लाल रंग की बारिश थी ।   वैसे भी खाके वतन का हर ज़र्रा 2 देवता होता है ।
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