बातें- कुछ स्वयं और कुछ आपकी
मादरे वतन के फ़जलोरहेम को सलाम करते हुए हम अपने खयालात को पेश कर रहे है.... ✍️ 1
मुझे आज भी याद है आज से दो साल पहले वाला वह दिन जब जनता कर्फ्यू के बाद रात को अचानक से 21 दिनों का लाकडाउन लगा दिया गया ।
पूरा परिवार डरा हुआ था कि अब क्या होगा ? क्या करें?मेरा बड़ा भाई मेरे पास आया उसने कहा तन्मय पता चला 21 दिन का लाक डाउन लगा दिया गया है अब ये दिन कैसे कटेंगे और क्या करेंगे ।
अपनी अध्यात्मिक प्रवृत्ति की वजह से मैंने कहा भाई ये लाक डाउन नही है बल्कि 21 दिन का कल्पवास है वैसे ही जैसे हमारी सभ्यता में प्रयागराज पर एक महीने का कल्पवास लिया जाता है। कल्पवास के जैसे नियम होते है वैसे ही नियमो का पालन करना है जैसे अब हाथ सैनिटाइज करना और होम आइसोलेशन पर रहना , इम्यूनिटी बूस्ट करना, सोशल रुमर्स से दूर ....।
भाई ने कहा लेकिन 21 दिन करेंगे क्या?
मैंने कहा 21 दिन मे रोज एक नयी कहानी पढ़ेंगे ओर कुछ नया शोध करके एक छोटा लेख लिखेंगे ।इस तरह मैने कोरोना से अपने परिवार को बचाकर रखा और मैंने कुछ अलग लिखने के लिए कलम उठाई । मैं स्पिरिचुअल् फाइन आर्ट एंड फूड क्रिटिक्स मे अपनी लेखनी चलाने का अभ्यास कर रहा हूं। आगे चलकर इतिहास से एम.ए. करूंगा जिससे स्पिरिचुअल् फाइन आर्ट एंड फूड क्रिटिक्स मे ऊंचाई तक जाने मे मदद मिलेगी ........✍️✍️✍️✍️।
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लाल हरे रंग में बटा हुआ मुल्क तो नहीं हो सकता है मुल्क तो वह होता है संतरे की तरह अंदर से केसरिया बाहर से हरा हो जो मुल्क संतरे की तरह रंग के मिलाप की एकता बरकरार रखते हुए एक ध्वज की डोरी में बंधता हो वही वतन हमारा हिंदुस्तान कहलाता है।
हां यह वही मुल्क है जहां श्री रामचंद्र जी के नन्हे नन्हे पैरों के चरण धुली से सना हुआ हिंदुस्तान आज भी महक रहा है और राधा कृष्ण के प्रेम बांसुरी की धुन भी आज सुनाई दे रही है। महावीर के प्रवचन महात्मा बुद्ध के उपदेश नानक की गुरुवाणी हम उसी भाव से सुनते हैं जैसे मस्जिद की रूह को तसल्ली पहुंचाने वाली अजान और मन को गदगद कर देने वाली मां गंगे की आरती ।
उत्तर में हिमालय वर्षों से रखवाली कर रहा होऔर दक्षिण में सागर युगों से चरणों को धुल रहा हो पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी जिसे अपने मीठे जल से सींच रही हो पश्चिम में सोमनाथ मंदिर जिसका निरंतर गुणगान गा रहा हो उस देश का नामोनिशान दुश्मन क्या राक्षस तक नहीं मिटा सकता है।
हिंद में पंजाब की बैसाखी केरल का ओणम तमिल का पोंगल असम का बिहू बिहार की छठ पूजा महाराष्ट्र की गणेश पूजा बंगाल की दुर्गा पूजा छत्तीसगढ़ का हरियाली पर्व उड़ीसा की जगन्नाथ यात्रा राजस्थान की तीज झारखंड का सरहुल उत्तराखंड की उत्तरायणी उसी खुशी के साथ मनाते हैं जितने खुशी के साथ होली ईद दिवाली और क्रिसमस।
यहां हमारी बोली खान पान रहन सहन आदि में अनेक रंग पाए जाते हैं लेकिन हम जिस तिरंगे के नीचे एक ही राष्ट्र के भाग्य बनाने वाले विधाता अर्थात भगवान का ध्यान करते हुए जो पंक्तियां गुनगुनाते हैं वह राष्ट्रगान एक है उस विधान का संघ एक है और वह राष्ट्र एक है उस राष्ट्र का नाम है - भारतवर्ष ।
कभी-कभी सन 1984 के सिख दंगे 1990 में कश्मीरी पंडितों का नरसंहार और गुजरात मे गोधरा के मुस्लिम पर अत्याचार, लखीमपुर खीरी कांड में किसानों की निर्मम हत्या मालेगांव मस्जिद बम विस्फोट भीम कोरेगांव का दलितषड्यंत्र आदि भीषण त्रासदी की वजह से फुट की कड़वी हवा तब तक के लिए की चल सकती है जब तक तहजीब से लबालब आदि गंगा के तट पर बसे हुए हैं शहर लखनऊ में अनवर जलालपुरी जैसे शायर उर्दू में गीता नहीं लिखते।
गिले-शिकवे भूलकर ईद की सेवई के जायके के साथ हम सब एक साथ यही गीत गाते हैं
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"बुरे लोगों का बोलबाला रहे ना सच बात को कहने वाला रहे
की मज़हब का दम भी घुटने लगे शराफत का सरमाया लूटने लगे
तो जग में होना है जाहिर मुझे जहां भर में रहना है हाजिर मुझे
बुरे जो हैं उनका करूं खात्मा जो अच्छे हैं उनका करूं मैं भला
धर्म का जमाने में हो जाए राज चले नेक रास्ते पर सारा समाज
इसी वास्ते जन्म लेता हूं मैं नया एक संदेश देता हूं मैं
वही मेरा अपना है यह जान लो ।।"
गांधी नेहरू इंदिरा के सपनों को साकार करते हुए इस तरह हम सब भारतवासी अनेकता में एकता रखते हुए एक साथ बोलते हैं
वंदे मातरम जय हिंद जय भारत 🙏 🙋♂️🙏
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दरअसल मैं यीशु के इस सिद्धांत पर अमल करता हूं कि "पाप से घृणा करो पापी से नहीं ।"देश का अहित करने वालो के लिए गर मुझे इस सिद्धांत से भी पीछे हटना पड़े तो बिना झिझक के हट जाएंगे ।
क्योंकि हमारे लिए भारत के महान सपूत से बढ़कर कुछ भी नहीं है । जय वही भारत देश है जिसका सपना गोखले और तिलक ने देखा था क्या यह वही भारत देश है जिस की संताने अनंत कान्हेरे मदनलाल ढींगरा कल्पना दत्त जैसी शख्सियत के रूप में याद की जाती है ।
शर्म आती है मुझे उन स्वयंसेवकों को राष्ट्र भक्त कहते हुए जो एक तरफ राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो दूसरी और अलगाववाद के राग अलापाते हैं और कहती हैं कि हम उन्हें अपना मान लें जो एक तरफ गांधी जी की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर गोली मारकर राष्ट्र दिवस मनाते हैं और उनके हत्यारे के जन्मतिथि को शौर्य दिवस के रुप मे मनाते है ।
गर आप किसी का सम्मान नहीं कर सकते है तो अपमान भी नही कर सकते हो । जैसे ईश्वर को ना मानने वालो को नास्तिक कहा जाता है वैसे ही राष्ट्रपिता का नाम मानने वालों को देशद्रोही ।
हम उन लोगो को अपना कैसे मान ले जो इंदिरा गांधी को गैर मज़हब में शादी करने के लिए अपशब्द कहते हैं और आपातकाल के लिए नफरत का माहौल फैलाते है । उन्हें पता होना चाहिए आपातकाल भी संविधान से बाहर नहीं था और छोटी सी बात के लिए(आचार संहिता के उल्लंघन ) किसी को चुनाव लडने के लिए नहीं रोका जा सकता है। बीस सूत्रीय कार्यक्रम उसी समय की देन है ।
और पता होना चाहिए सच्चे हिन्दू भक्त बाला साहेब ठाकरे ने आपातकाल को जायज ठहराया था ।
जो पार्टी के वजह से नफ़रत करते हैं उन्हें पता होना चाहिए प्रधानमंत्री सिर्फ पार्टी का नहीं होता है वह पूरे देश का प्रतिनिधि होता है ।
डा भीमराव अम्बेडकर जिन्होंने भारत का भविष्य लिखा उनकी मूर्ति तोड़ी जाती है कि वे दलित है।
व्यक्ति को स्मरण रखना चाहिए की महान व्यक्ति जात धर्म से ऊपर उठकर यहां तक इंसानियत से भी ऊपर उठकर अमृत को प्राप्त कर लेता है महान व्यक्ति को उनकी जाति से देखकर अपनी परवरिश को दिखा देते हैं कि वह क्या है ?
महात्मा गांधी की मौत पर पूरा युग रोया इंदिरा गांधी की मौत पर पूरा विश्व रोया अंबेडकर के पुण्य कार्य के लिए पूरा भारत उनका कृतार्थ है इन व्यक्तियों ने अपना जीवन राष्ट्र के लिए निछावर कर दिया।
इनके बारे में हम बुरा भी नहीं सोच सकते और हम भी व्यक्ति की निंदा करने वाले व्यक्ति को अपना कैसे मान सकते है और उन्हें याद रखना चाहिए की वतन पर मर मिटने वालों की समाधि पर हर बरस मेले जुटते हैं ।
अंत में हम अपना लेख यहीं पर समाप्त करते हैं की।
मुसाफिर हो तुम भी मुसाफिर है हम भी।
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।।
🙏🙏🙏
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