सिकंदर से पहले के सिकंदर -



सेमरामिस  -भारत पर पहले आक्रमण की बात पर लोगों के दिमाग पर एक ही आक्रमण की बात कौंध जाती है और वह है  पुरु- सिकंदर की लडाई |                                                                     सिकंदर से पहले भी कुछ सिकंदर हुए है उन सिकंदर मे से एक थी -मल्लिका सेमरामिस और साइरस प्रथम ।

2.मल्लिका सेमरामिस - मल्लिका सेमरामिस का संबंध    असीरियन सभ्यता से था ।असीरियन सभ्यता  मेसोपोटामिया  सभ्यता के अन्तर्गत आने वाली एक सभ्यता थी । 

मेसोपोटामिया सभ्यता के अंदर 4 प्रमुख सभ्यताएं आती है । 

1.बेबीलोन की सभ्यता 

2.असीरियन की सभ्यता

3.सुमेरियन की सभ्यता

4.कैलिड्रियन की सभ्यता 

असीरियन सभ्यता बहुत ही क्रूर सभ्यता थी । असीरियन की राजधानी असुर नगर थी । मल्लिका सेमरामिस असीरियन सभ्यता की एक होनहार बहादुर रानी थी । मल्लिका सेमरमिस के पति का नाम ओन्नेस था । शाह नुन्नस की मौत के बाद मल्लिका सेमरामिस अपने  अल्प वयस्क पुत्र निनस की  संरक्षिका नियुक्त की गई और राज्य संचालिका बनाई गई। मल्लिका सेमरामिस  ने राज्य संचालन करते हुए अपनी राज्य की सीमा बढ़ाना आरम्भ कर दिया ।

 राज्य की बढ़ोत्तरी करते हुए रानी ने भारत पर आक्रमण किया । यह भारत का पहला विदेशी आक्रमण माना जाता है । आक्रमण का समय लगभग 800 ई. पू. 700 ई .पू. माना जाता है उस समय को भारत में पौराणिक काल माना जाता है। मल्लिका सेमरामिस के आक्रमण के समय भारत के सम्राट थे -सत्यव्रत ।

 सत्यव्रत को ग्रीक भाषा में स्ट्रेटबोस के नाम से जाना जाता है मल्लिका  सेमरामिस ने अपनी विशाल सेना के साथ भारत पर आक्रमण किया । युद्ध कई दिनों तक चला अंत में राजा सत्यव्रत की गजसेना ने मल्लिका  सेमरामिस की सेना के होश उड़ा दिए । मल्लिका पराजित हुई और उन्हे वापस जाना पड़ा भारत का यह पहला विदेशी आक्रमण था और विजित युद्ध भी ।

मल्लिका सेमरामिस के नाम पर काहिरा में एक होटल का नाम रखा गया है। कुछ साहित्यकारों ने उपन्यास, नाटक भी लिखे है । मल्लिका के युद्ध का वर्णन विश्व कि प्राचीन सभ्यताओं में किया गया है । दंत कथाओं में मल्लिका की कहानी काहिरा में आज भी गायी जाती है ।

भारत के इतिहास में भले ही इस युद्ध को नकार दिया गया हो लेकिन विश्व के इतिहास में इसकी झलक देखने को मिल ही जाती है खासकर भारत के पौराणिक आख्यानों में ।

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                         😍 ईरानी आक्रमण 😍

जिस समय उत्तर पूर्वी भारत में मगध साम्राज्य के नेतृत्व में राजनीतिक एकता की स्थापना हो रही थी उस समय भारत का उत्तर-पश्चिमी प्रदेश अनेक छोटे बड़े राज्यों में विभक्त था ।आर्थिक व्यापारिक दृष्टि से भारत का क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण था अतः किसी भी शक्तिशाली एवं साम्राज्यवादी शासक के लिए वह आकर्षण का केंद्र था इसी कारण भारत के क्षेत्र को पहले  ईरानी और तत्पश्चात यूनानी आक्रमण का सामना करना पड़ा।

ईरान से भारत के अत्यंत प्राचीन काल से संबंध थे।उत्तर पश्चिम भारत की राजनीतिक फूट का लाभ उठाते हुए साइरस प्रथम ने 550 ई. पू. के  लगभग बलूचिस्तान की ओर से भारत पर आक्रमण किया किंतु वह पराजित हो गया। साइरस ने साहस न खोया वह दूसरी बार उसने काबुल घाटी के रास्ते से उत्तर पश्चिम भारत पर आक्रमण  किया। साइरस ने हिंदू कुश और काबुल घाटी पर विजय  प्राप्त  की थी।

साइरस प्रथम के पश्चात उसका पुत्र केंबिसिस 530 ई. पू. 525 ई. पू .तक हखमनी साम्राज्य का शासक बना ।वह अपने साम्राज्य की आंतरिक समस्याओं में ही इतना उलझा रहा कि वह भारत की ओर ध्यान ना दे सका। 522 ई. पू. में हखमनी साम्राज्य के सिंहासन पर डेरियस प्रथम बैठा उसने 586 ई. पू. तक शासन किया।उसने पंजाब व गंधार पर विजय प्राप्त करके उन्हें अपने साम्राज्य का अंग बनाया इस तथ्य की पुष्टि उसके नकशी रुस्तम शिलालेख से होती है। 

इसके पश्चात उसका पुत्र  क्षयार्ष शासक बना ।क्षयार्ष के उत्तराधिकारी अयोग्य थे उनकी साम्राज्य विस्तार में कोई रुचि न थी । अतः भारतीय प्रदेशों पर ईरानी प्रभाव कम होने लगा। विवादास्पद है कि भारतीय क्षेत्रों पर से ईरानी प्रभाव कब समाप्त हुआ। परंतु यह स्पष्ट है की हखमनी साम्राज्य का अंतिम शासक डेरियस तृतीय था।330 ई. पू. में सिकंदरने डेरियस को पराजित कर इस विशाल साम्राज्य का पतन कर दिया ।

ये थे भारत पर आक्रमण करने वाले सिकंदर से पहले के सिकंदर अतः ये लेख पूरा हुआ ।

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